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BREAKING NEWS :” राजिम-नवापारा ” जिला मांग फिर सुर्खियों में ,छत्तीसगढ़: जिला निर्माण में चुनौतीभरा संघर्ष और जद्दोजहद”…

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BREAKING NEWS : 

राजिम – नवापारा । 16 जिलो के साथ नवंबर 2000 में पृथक छत्तीसगढ़ राज्य अस्तित्व में आने के समय से ही ‘ छत्तीसगढ़ में छत्तीस जिले ‘ की कहावत चल पड़ी थी । पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह इस कहावत पर अमल करते हुए अपने कार्यकाल के दौरान 11 नये जिले बना आंकड़े को 27 पर पहुंचाया , इसी क्रम में मौजूदा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 6 नये जिले बना 3 कम 36 के करीब पहुंचा दिये शेष तीन जिलो में शामिल होने के लिये राजिम-नवापारा, भाटापारा, भानुप्रतापपुर सहित लगभग आधा दर्जन से अधिक स्थानों में होड़ के साथ जद्दोजहद जारी हैं ‌।इस मामले पर अंदेशा है कि चुनावी आचार संहिता के पूर्व ये तीनो नये जिले अस्तित्व में आ जायेंगे ।
जिला निर्माण के संबंध में सबसे अहम पहलू यह हैं कि छत्तीसगढ़ की सियासी पृष्ठभूमि से संबंधित जितने भी मुख्यमंत्री बने उन्होंने अपने परंपरा निर्वाचन क्षेत्रों को प्रशासनिक हल्के में जिले का दर्जा दिलवाकर ही चैन से बैठे, लेकिन तीन दफे मुख्यमंत्री बनाने वाले ,देश -विदेश के नक्शे में धर्मधरा ,छत्तीसगढ़ के प्रयागराज के रूप चिंहित भगवान श्री राजीवलोचन की नगरी, छत्तीसगढ़ की कुल आबादी के लगभग 22 – 24 फीसदी छत्तीसगढ़ साहू समाज के लोगो के आस्था केंद्र उनके आराध्य कुलदेवी ‘भक्तिन माता राजिम ‘ की कर्मभूमि , महाप्रभु श्री वल्लभाचार्य की जन्मस्थली , पंचकोसीधाम , को समेटे दलितोद्धारक ,प्रसिद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. पं.सुंदरलाल शर्मा, पृथक छत्तीसगढ़ राज आंदोलन के जननायक, कवि-साहित्यकार , सुप्रसिद्ध भगवताचार्य ब्रह्मलीन संत पवन दीवान की कर्मभूमि, पूर्व मुख्यमंत्री पं.श्यामाचरण शुक्ल का परंपरागत निर्वाचन क्षेत्र अपवाद रहा, वे यही से निर्वाचित हो तीन दफे मुख्यमंत्री बने थे । यह एक सहज संयोग कहा जायेगा कि राजिम के साथ पं.शुक्ल के एक अन्य निर्वाचन क्षेत्र के रूप में चिंहित भाटापारा में भी पृथक जिले की मांग को लेकर संघर्ष और जद्दोजहद का दौर जारी हैं, यहा यह बताना लाजिमी हैं कि राजिम विस के हुये अब तक के कुल चुनावों में 9 दफे शुक्ल परिवार ने जीत दर्ज की जिसमें 6 बार स्वयं पं. शुक्ल जीते तीन चुनावों में उनके अमितेश शुक्ल जीत दर्ज कर एक बार कैबिनेट मंत्री बने । अपने क्षेत्र के प्रति पूर्व मुख्यमंत्री स्व. अजीत जोगी जीवटता-जुझारूपन उल्लेखनीय हैं वे अपने निधन के महज तीन महिने पूर्व क्षेत्रीय जनता से जिला निर्माण को लेकर किये गये बरसो पुराने जिला निर्माण के वायदे को 2020 में ‘गौरेला -पेंड्रा – मरवाही ‘ जिला बनवा पूर करके ही दम लिये थे । डॉ. रमन सिंह, स्व. मोतीलाल वोरा के निर्वाचन क्षेत्र पूर्व से ही घोषित जिले थे ,वही एक अन्य पूर्व मुख्यमंत्री स्व.राजा नरेशचंद्र सिंह का निर्वाचन क्षेत्र सारंगढ़ भी जिला बन चुका हैं, छत्तीसगढ़ के खरसिया व कशडोल क्षेत्र से निर्वाचित हो क्रमश:स्व. अर्जुन सिंह , डी.पी. मिश्र भी मुख्यमंत्री बने लेकिन वे छत्तीसगढ़ की पृष्ठभूमि से न हो कर मध्यप्रदेश से संबंधित थे । मौजूदा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कार्यकाल पूरे होने के पूर्व तीन नये जिलो के गठन की संभावनाओं के बीच उनके परंपरागत निर्वाचन क्षेत्र पाटन को भी जिला बनाये जाने की संभावना जतायी जा रही हैं तीन महीने के भीतर ग्राम पंचायत अमलेश्वर के क्रमिक रूप से नगर पालिका में उन्नयन प्रक्रिया को इसी कड़ी से जोड़कर देखा जा रहा है।

  • जिला के मुद्दे पर 1998 में
    हुआ था राजिम में ऐतिहासिक आंदोलन..

सन् 1983 की बी.पी दुबे की अध्यक्षता में गठित जिला पुनर्गठन आयोग की सिफारिशों
को अमलीजामा पहनाने की गरज से अविभाजित मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह नें 1998 में 10 नये जिले के गठन की घोषणा की जिसमें से 6 जिले छत्तीसगढ़ की पृष्ठभूमि से सम्बन्धित थे उनकी इस घोषणा से छत्तीसगढ़ की सियासी जमीं पर भूचाल सा आ गया था कही हर्षमय आभार प्रदर्शन हुआ तो कहीं पुतले फुंके जाने के साथ विरोध में धरना प्रदर्शन आंदोलन भी हुए, राजिम विधानसभा क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं रहा जानकारों की माने तो मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने जिला पुनर्गठन की आड़ में पूर्व मुख्यमंत्री पं. श्यामाचरण के परंपरागत क्षेत्र में तगड़ी सेंधमारी कर दी थी जिसके तहत फिंगेश्वर से लगे हुए एवं महासमुंद की सरहद से लगे हुए पं. शुक्ल के प्रभाव वाले बहुतेरे गांवों को नवीन महासमुंद जिले में समाहित किया जाना प्रस्तावित था इसमे कुछ गांव तैयार थे परंतु अधिकतर गांव विरोध में रहे परिणामस्वरूप जिला मुख्यालय की दूरी, व्यापारिक दृष्टिकोण और आवागमन – संचार साधनो की सर्वसुलभता के मद्देनजर राजिम क्षेत्र में पहली बार अविस्मरणीय सर्वदलीय आंदोलन हुआ था , इसमें कांग्रेस, भाजपा, बसपा के प्रमुख नेताओं के साथ किसानों, पंचायती राज प्रतिनिधियों, युवाओं, छात्रों , व्यापारी संगठनों आदि ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेकर आंदोलन को ऐतिहासिक बना दिया था, उग्र होते आंदोलन से पं. शुक्ल बेहद परेशान थे मामले पर उन्होंने कांग्रेस आलाकमान के समझ हस्तक्षेप का आग्रह किये तब जाकर कही दिग्विजय सिंह के निर्देश पर पूर्व सांसद संत पवन दीवान एवं पं. शुक्ल की मध्यस्थता में निकट भविष्य में ‘ राजिम- नवापारा ‘ जिला गठन की संभावनाओं एवं पहल के आश्वासन के पश्चात पूर्ववत ‘रायपुर -जिला ‘ की यथास्थिति के शर्तो के साथ आंदोलन समाप्त करवाया गया मौके पर महासमुंद जिले मे समाहित होने वाले गांव वालो ने भी यथास्थिति में रजामंदी दी ।
इसके पश्चात छत्तीसगढ़ को पृथक राज्य का दर्जा मिला अजीत जोगी मुख्यमंत्री बने और कुछ दिनो बाद जब वे संत पवन दीवान से मिलने राजिम दीवान समर्थकों ने उनका ऐतिहासिक स्वागत कर हुए उन्हे ‘ ब्रह्मचर्य आश्रम ‘ ले गये तो स्वागत से गदगद जो ने दीवान से खाने मे ‘ मिर्ची – भजिया ‘ और ‘ मुनगे की सब्जी ‘ इच्छा जतायी । खाने के पश्चात ‘ सियासी गुफ्तगू ‘ के दौरान जब दीवान ने 1998 में जनता से किये गये वायदे ‘ राजिम -नवापारा ‘ जिला निर्माण के संबंध मे चर्चा की ‘चिंता करके कोई बात नई हे महराज राजिम ल लेके आपके जऊन भी सपना होही मै ह सबला पूरा करिहव ‘ । संत दीवान के मंशानुरुप ग्राम पंचायत राजिम का नगर पंचायत में उन्नयन, राजिम मेला में ‘श्री राजीवलोचन – महोत्सव ‘ का वृहद रूप में आयोजन जिला निर्माण की दिशा में एक क्रमिक हिस्सा था ।

  • नये जिले की घोषणा करते – करते रह गये जोगी

यदि संत पवन दीवान के करीबी सूत्रो की माने राजिम मेला के दूसरे वर्ष के ‘ ‘ राजीवलोचन महोत्सव ‘ मंच से ही मुख्यमंत्री अजीत जोगी दीवान की उपस्थिति में नये जिले ‘ राजिम -नवापारा ‘ की घोषणा करने तैयार हो गये थे चर्चा के दौरान मंच पर उपस्थित दो नेताओं करके मध्य जिला निर्माण के कुछ बिंदुओं पर मतभेद की स्थिति को देखते हुए जोगी ने कहा चलिए इस मुद्दे पर पहले बैठकर चर्चा करेंगे फिर घोषणा करेंगे । समय ने करवट लिया 2003 के चुनाव में जोगी की सल्तनत जाती रही और ‘ राजिम – नवापारा ‘ जिला बनते – रह गया ।
बहरहाल पृथक जिला का मुद्दा एक बार फिर ‘ अब तीन में नहीं तो छत्तीस में भी कभी नहीं । ‘ के नारो के साथ पुनः सुर्खियों में है , आंदोलन को लेक सर्वदलीय संघर्ष समिति के गठन की सुगबुगाहटे शुरु हो गई है और अगामी जून मध्य से अगस्त तक क्षेत्रीय हितचिंतकों द्वारा शासन प्रशासन के समक्ष प्रभावी पहल की तैयारी की जा रही है ।

  • बोले, बने ,भूले सब , बाजी मारी रेखा सोनकर ने..

बोलना , बोल के बनना और फिर बनकर भूलना नेताओं की फितरत होती हैं इसी फितरत का शिकार ‘ राजिम- नवापारा ‘ का भावनात्मक मुद्दा भी होते रहा है ।लेकिन राजिम नगर पंचायत अध्यक्ष रेखा सोनकर और उसके सहयोगी पार्षदों ने जो कर दिखाया है उससे इस मुद्दे के साथ क्षेत्रीय हितो से सरोकार रखने वाले समूचे जनमानस को भावविह्वल कर दिया हैं ।
गौरतलब है कि दिनांक 29अप्रैल 2022 को श्रीमति रेखा सोनकर की नेतृत्व वाली नगर पंचायत राजिम ने दलीय हितो -मतभेदो को दरकिनार कर राजिम को जिला बनाने संबंधी प्रस्ताव ध्वनिमत से पारित कर , प्रस्ताव नगरीय प्रशासन विकास विभाग को प्रेषित करने का अविस्मरणीय श्रेय अपने नाम कर लिया । जिला निर्माण की दिशा में अभूतपूर्व पहल करने वाली वे पहली जनप्रतिनिधी है ।मिली जानकारी के अनुसार राजिम क्षेत्र की सर्वाधिक सक्रिय जिला पंचायत सभापति मधुबाला रात्रे अपने अधीनस्थअनेकों पंचायतों से पृथक जिला संबंधी प्रस्ताव पारित करवा चुकी है, वही अधिवक्ता संघ द्वारा भी इस संबंध में कुछ दिनों पूर्व मुख्यमंत्री के नाम से ज्ञापन प्रेषित किया गया हैं।

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