
BIG BREAKING : उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में पुलिस ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के दो अधिकारियों सहित छत्तीसगढ़ सरकार के तीन अफसरों और रायपुर के महापौर ऐजाज ढेबर के बड़े भाई के खिलाफ धोखाधड़ी, फर्जीवाड़ा और आपराधिक साजिश की धाराओं में प्राथमिकी दर्ज की है। अधिकारियों ने सोमवार को बताया कि यह प्राथमिकी छत्तीसगढ़ आबकारी विभाग में कथित शराब घोटाले की प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा की जा रही जांच के आधार पर दर्ज की गई है। छत्तीसगढ़ आबकारी विभाग में कथित तौर पर 2,000 करोड़ रुपए के घोटाले की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के उप निदेशक (रायपुर) की शिकायत पर रविवार को कासना थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई।
असली और नकली होलोग्राम दोनों एक ही फैक्ट्री में बनते थे: ईडी..
ईडी की ओर से नोएडा में दर्ज एफआईआर में प्रेडिकेट अफेंस हैं, यानि वे सभी धाराए हैं, जिनसे ईडी को मनी लॉड्रिंग में कार्यवाही का आधार मिलता है। बता दें कि जब ईडी ने शराब घोटाले मामले में कार्यवाही शुरू की थी तब ईडी की कार्यवाही का आधार आयकर विभाग का दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट में दायर एक परिवाद था। उस परिवाद पर विधिक प्रश्न खड़े हो गए। सेंशन जज परिवाद पर लिए गए सीजीएम कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी। इस रोक से ईडी की कार्यवाही पर कानूनी सवाल खड़े हो गए। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सेशन जज के फैसले को आधार मानते हुए ईडी को कार्यवाही से रोक दिया और कहा कि ईडी के पास जब भी प्रेडिकेट अफेंस के साथ एफआईआर मिले व कार्यवाही जारी करने के लिए हमारी अदालत से अनुमति ले सकती है। सेशन कोर्ट और सीजेएम कोर्ट के खिलाफ आयकर विभाग की याचिका हाईकोर्ट में दायर है, जिस पर 31 जुलाई को सुनवाई हुई, बताया गया कि हाईकोर्ट के फैसले से पहले ही ईडी ने सीधे एफआईआर दर्ज करा दिया है। माना जा रहा है कि • ईडी को मनी लॉड्रिंग में कार्यवाही का आधार तैयार करने के लिए उप्र में ये एफआईआर दर्ज करवाई गई।